कोई क्यूँ देखे 26 जनवरी की परेड ?

राजपथ से Live
 इस बार 26 जनवरी के दिन जल्दी नहीं उठा। मन नहीं किया। क्या करता, पिछले 20 साल से परेड में ख़ास कुछ नहीं बदला। कुछ rules बना लिए हैं हमने अपना गणतंत्र दिवस मानाने के। वही झांकियां, वही नृत्य, वही करतब, वही सजावट । किसी की इच्छा .. किसी की हिम्मत ही नहीं है की कुछ बदलने की सोच सके। कहीं किसी को बुरा न लग जाये। जैसा चलता है चलने दो। करोड़ों रूपए खर्च हो जाते हैं हर साल, पर कोई दिमाग खर्च नहीं करता।

वही परेड है। अगर दूरदर्शन वाले 1999 की रिकॉर्डिंग भी चला दें तो कोई फर्क नहीं होगा। यहाँ तक की कैमरा एंगल तक बदले नहीं गए। कमेंटरी में हर बार केवल साल और नेताओं के नाम बदल दिए जाते हैं। ये हमारे गणतंत्र का अपमान नहीं है की उसे मानाने के लिए हमने एक rulebook लिख दी है ? हर साल कठपुतली शो की तरह शुरू होता है और ख़त्म हो जाता है।

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क्या लगता है, कब की है ये परेड। अपलोड करने वाले ने undated लिखा है। शायद सही लिखा है।